मुंबई, भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना का कहर जारी रहने के बावजूद घरेलू शेयर बाजार लगातार चौथे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुआ। प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में पिछले सप्ताह के मुकाबले डेढ़ फीसदी से ज्यादा की साप्ताहिक तेजी दर्ज की गई।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स इस सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को पिछले सप्ताह के मुकाबले 572.91 अंकों यानी 1.59 फीसदी की तेजी के साथ 36594.33 पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी बीते सप्ताह के मुकाबले 160.70 अंकों यानी 1.51 फीसदी की तेजी के साथ 10, 768.05 पर बंद हुआ।
हालांकि बीएसई मिडकैप सूचकांक पिछले सप्ताह के मुकाबले महज 108.13 अंकों यानी 0.81 फीसदी की बढ़त बनाकर 13, 396.83 पर ठहरा, लेकिन स्मॉलकैप सुचकांक 200.76 अंक यानी 1.59 फीसदी चढ़कर 12, 803.78 पर बंद हुआ।
घरेलू शेयर बाजार में पिछले सप्ताह से जारी तेजी का सिलसिला सोमवार को लगातार चौथे सत्र में जारी रहा। घरेलू कारकों और मजबूत विदेशी संकेतों से सप्ताह के पहले सत्र में सोमवार को सेंसेक्स पिछले सत्र से जोरदार 465.86 अंकों यानी 1.29 फीसदी की बढ़त बनाकर 36, 487.28 पर बंद हुआ और निफ्टी भी 156.30 अंकों यानी 1.47 फीसदी चढ़कर 10, 763.65 पर बंद हुआ।
तेजी का यह सिलसिला अगले दिन मंगलवार को भी जारी रहा जब सेंसेक्स पिछले सत्र से 187.24 अंक यानी 0.51 फीसदी चढ़कर 36, 674.52 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 36 अंकों की बढ़त के साथ 10799.65 पर ठहरा।
हालांकि लगातार पांच सत्रों की तेजी पर बुधवार को ब्रेक लग गया और मुनफावासूली के दबाव में सेंसेक्स 345.51 अंक यानी 0.94 फीसदी फिसलकर 36, 329.01 पर बंद हुआ और निफ्टी 93.90 अंक यानी 0.87 फीसदी टूटकर 10, 705.75 पर बंद हुआ।
लेकिन अगले दिन फिर शेयर बाजार में जोरदार तेजी आई। सेंसेक्स गुरुवार को फिर 408.68 अंकों यानी 1.12 फीसदी की उछाल के साथ 36737.69 पर जाकर ठहरा और निफ्टी भी 107.70 अंकों यानी 1.01 फीसदी की बढ़त बनाकर 10813.45 पर रुका।
कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बीच सेंसेक्स पिछले सत्र से 143.36 अंक फिसलकर 36594.33 पर बंद हुआ और निफ्टी भी पिछले सत्र से 45.40 अंक टूटकर 10768.05 पर ठहरा। कोरोना के गहराते प्रकोप के बीच आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेतों से शेयर बाजारों को सपोर्ट मिला।