नई दिल्ली - पीपली में किसान रैली पर पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज व गिरफ्तारी करने की कड़ी निन्दा हो रही है। साथ ही प्रदेश के गृहमंत्री द्वारा राज्य में जलसे, जुलूस और प्रदर्शनों पर रोक लगाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही हैं।
रणबीर दहिया जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा सदस्य ने मीडिया को जारी किए नोट मे कहा की हरियाणा प्रदेश के किसान बिमारी, सूखे व जलभराव के कारण बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी, मुआवजे और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विरोधी 3 अध्यादेशों के खिलाफ अलग-अलग जगह आंदोलन कर रहे हैं। अगर सरकार किसानों का समुचित मुआवजा देने के लिए समय पर विशेष गिरदावरी करवाती तथा तीनों अध्यादेश वापस लेती तो उन्हें सड़कों पर नहीं उतरना पड़ता।
इसी प्रकार छंटनी के खिलाफ व अन्य मांगों के लिए कर्मचारी भी विरोध कार्यवाइयां कर रहे हैं। विडंबना है कि सरकार जनता की समस्याओं के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है और जब जनता मजबूरी में सड़कों पर उतर रही है तो उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया जा रहा है। धरने प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाकर जनता के मौलिक जनतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
एक तरफ तो केन्द्र सरकार अनलॉक प्रक्रिया के तहत प्रतिबंध हटा रही है और विभिन्न प्रकार की गतिविधियां शुरू कर रही है वहीं हरियाणा सरकार ऐसे प्रतिबंध लगा रही है। यह दोनों अंतरविरोधी नहीं हैं क्या ? हरियाणा प्रदेश में कोविड संक्रमण इन जलसे-प्रदर्शनों से नहीं बढ़ा है। इस महामारी के फैलाव के लिए हरियाणा सरकार का कुप्रबंधन जिम्मेवार है। महामारी के शुरू होने के समय से ही प्रदेश की भाजपा सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार टैस्टिंग, ट्रेसिंग और एकांतवास तथा समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं की। इसी कारण प्रदेश में संक्रमण बढ़ रहा है।
हरियाणा के गृहमंत्री के मौजूदा आदेश का उद्देश्य महामारी की रोकथाम की बजाय जनता की आवाज को दबाना ज्यादा नजर आता है। महामारी के कारण बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार और रोजी-रोटी के साधन नष्ट हुए हैं। सरकार ने प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने के ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
हरियाणा प्रदेश सरकार को मालूम होना चाहिए कि जनता भी यह जानती है कि महामारी फैल रही है। वह शौकिया रूप में सड़कों पर नहीं आ रही है बल्कि रोजी-रोटी के लिए मजबूरीवश उसे सड़कों पर आना पड़ रहा है। इसके लिए सरकार की अकर्मण्यता जिम्मेदार है।
हरियाणा प्रदेश की विभिन्न संस्थाएं सरकार से मांग कर रही हैं कि गृह मंत्रालय के इस जनतंत्र विरोधी आदेश को तुरंत वापस लिया जाए, कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों अनुसार प्रदेश में टैस्टिंग, ट्रेसिंग और ईलाज की समुचित व्यवस्था करे तथा जनता के विभिन्न हिस्सों की मांगों और समस्याओं का संवेदनशील तरीके से बातचीत करके प्राथमिकता पर हल निकाले। वरना जनता में असंतोष और आक्रोश का बढ़ना उनकी मजबूरी है ।