चण्डीगढ़ : गुरबाणी शब्द "सतगुरु की सेवा सफल है जे को करे चित लाए" को आत्मसात करते हुए स्थानीय निवासी मंजीत शाह सिंह ने गुरु नानक जी के 550वें जन्म प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर "धन गुरु नानक" लिखना शुरू किया था व इस वर्ष 551वें प्रकाश पर्व तक उन्होंने एक लाख बार लिखने का लक्ष्य रखा था जिसे वे 30 नवम्बर को गुरु पर्व के दिन पूरा करके गुरु चरणों में समर्पित करेंगे। उनका कहना है कि इस अवधारणा से मेडिटेशन करना आसान होता हैै व परमात्मा की तरफ लगन बढ़ती है। मंजीत शाह सिंह ने बताया कि आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हो और यदि आप ईश्वर के बारे में लिखते हैं तो मन की एकाग्रता बढ़ती है। भक्ति के साथ-साथ शारीरिक थकावट भी कम होती हैै। जिंदगी की दौड़-धूप में यदि हम कुछ समय निकालकर कुछ पवित्र शब्द लिखते हैं तो परमात्मा का ध्यान करना बड़ा ही आसान हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे एक वर्ष से भी ज्यादा समय यानी बीते वर्ष के गुरुपर्व से "धन गुरु नानक" लिख रहे हैं व रोजाना यह हज़ार बार के हिसाब से लिखते रहे। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा गुरु नानक देव जी के इस जन्म प्रकाश पर्व तक एक लाख बार लिखने का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे हासिल करने से उन्हें हार्दिक व आत्मिक शांति प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक सफ़े के दोनों तरफ 550 बार "धन गुरु नानक" लिखने हेतु ग्यारह पक्तियों में पचास खाने बनाकर ये अभ्यास आरम्भ किया था।
उनका मानना है कि लिखने से मनुष्य का चित्त एकाग्र होता है और वह आसानी से परमात्मा का ध्यान कर सकता है। उन्होने बताया कि कोई भी व्यक्ति, किसी को धर्म को भी मानने वाला है यदि वह कुछ मंत्र या धर्म से संबंधित कुछ स्लोगन लिखना चाहता है तो उन्हें उनकी तरफ से नि:शुल्क स्टेशनरी उपलब्ध करवाई जाएगी।